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शिक्षकगण अभ्यास के द्वारा शिक्षण-कौशल हासिल करते हैं

हेड मास्टर और जीएमपी स्कूल के गणित के शिक्षक ख्याली दत्त शर्मा के बारे में पहले-पहल जो धारणा मेरे मन में बनी, उसने मुझे आगे होने वाले अनुभवों के लिए तैयार किया। मृदुभाषी, संकोची और बेहद विनम्र – मुझे पता था कि मुझे उनसे अपने बारे में बात करने के लिए उन पर दबाव डालना होगा क्योंकि वे ऐसे व्यक्ति थे ही नहीं जो अपने बारे में कुछ कहें। हालांकि जब मैंने उनकी गणित की पाँचवीं कक्षा देखी तो इस बात की पर्याप्त जानकारी मिली कि ख्याली दत्त शर्मा (केडीएस) क्यों एक असाधारण शिक्षक और प्रशासक के रूप बहुत विशिष्ट हैं तथा उनकी कहानी बताई जानी चाहिए।

स्कूल से अंतर्क्रिया: मेरे बदलाव की दास्तान

जब शिक्षकों से शिक्षा संबंधी चर्चा की जाती है … उनका मानना है की सर्व शिक्षा के लिए बने नियमों ने उनके हाथ बांध दिए हैं। बच्चे का वर्ग उसकी योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि उसकी उम्र के आधार पर निर्धारित होते हैं, बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते, नाम कटना आसान नहीं होता , बच्चे को हर वर्ष अगले वर्ग में प्रवेश मिल जाता है। बच्चे पढ़ें या न पढ़ें पास तो हो ही जाता है. जिस कारण शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। ध्यान देने योग्य बात है कि “शिक्षा की उपेक्षा करके कहीं हम विकास का सही अर्थ ही न खो दें । ऐसा न हो जाये कि ‘बस्तियाँ बसती रहें और आदमी उजड़ता चला जाये’ ।

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